sidh kunjika Fundamentals Explained
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥
रात के समय ये पाठ ज्यादा फलदायी माना गया है.
दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
नवरात्रि के नौ दिनों तक इसका पालन करना होगा तभी ये पूर्ण फल प्रदान करेगा.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
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देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।